Friday, October 1, 2010

गौर करने वाली बात है

आज ऑफिस मे बहुत ही मजेदार बात हुई।
हमारी एक सहयोगी है जो बहुत ही मेहनती और निष्ठावान तरीके से काम करती है और बहुत ही साफ मन वाली भी है। आज उन्होने मुझसे 500 रुपेए तुड़ाने को कहा। मैंने 100-100 रुपेए के नोट निकाल कर उन्हे दिया। कडक नोट देखकर वो बहुत खुश हुईं। फिर अचानक उन्होने मुझसे कहा, "कल कोई भी नोट खर्च मत करना।"
मैंने पुछा,"ऐसा क्यूँ ! क्यू ना खर्च करू कल छुट्टी है कल मै शॉपिंग को जाऊंगा, बहुत समान लेना है। "
उन्होने तपाक से बीच मे बोला, " नहीं नहीं कल मत खर्च करना जो खरीदना है आज ही खरीद लो, कल अगर बहुत जरूरत हो तो चिल्लर ही खर्च करना, पर नोट नहीं"।
सभी अन्य सहयोगी ये सुनकर एक दम शांत हो गए और हमारी बात ध्यान से सुनने लगे। सभी को ये सुनकर अजीब लगा।
मैंने बहुत ही उत्सुकता से उनसे पुछा, " आखिर क्या बात है जो मै नोट न खर्च करू"।
उनका उत्तर सुनते ही पूरा माहौल हसी के ठहाके मे गूंज उठा।
वो बोली, "कल 2 ओक्टोबर है न गांधी जी की जयंती, और नोटों पर उनकी तस्वीर होती है, इसलिए मै उन्हे नहीं खर्च करती, आप भी मात करना, कम से कम एक दिन के लिए"।
सबकी हंसी तो शांत हो गयी पर सब के मन मे एक सवाल छोड़ गयी।
ये बात मजेदार तो थी ही पर सोचने वाली भी वो इसलिए की आज भी कुछ लोग है जो महात्मा गांधी को याद करते है।
ये बात बहुत ही गौर करने वाली है। जरा सोचिए!

6 comments:

  1. Sach me gaur karnewaalee baat hai! Blog jagat me aapka sasneh swagat hai!

    ReplyDelete
  2. सच में गौर करने की बात है|

    ReplyDelete
  3. दीपावली का त्यौहार आप, सभी मित्र जनो को परिवार को एवम् मित्रो को सुख,खुशी,सफलता एवम स्वस्थता का योग प्रदान करे -
    इसी शुभकामनओ के साथ हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  4. इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    ReplyDelete
  5. लेखन अपने आपमें रचनाधर्मिता का परिचायक है. लिखना जारी रखें, बेशक कोई समर्थन करे या नहीं!
    बिना आलोचना के भी लिखने का मजा नहीं!

    यदि समय हो तो आप निम्न ब्लॉग पर लीक से हटकर एक लेख
    "आपने पुलिस के लिए क्या किया है?"
    पढ़ सकते है.

    http://baasvoice.blogspot.com/
    Thanks.

    ReplyDelete